
अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता सुधारने के 18 सरल और प्रभावी तरीके
हमारे चारों ओर कीटाणु, जीवाणु और विषाणु (इन्सेक्ट, बैक्टीरिया और वायरस) फैले हुए हैं। जब भी ये सूक्ष्म जीव हम पर हमला करते हैं, तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता इनसे लड़ती है और इन्हें खत्म कर हमें रोगग्रस्त होने से बचाती है। परन्तु जब गलत रहन-सहन, खान-पान, वृद्धावस्था आदि के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, तो शरीर इन सूक्ष्म जीवों के आक्रमण का सामना नहीं कर पाता और रोगग्रस्त हो जाता है। अतः यदि हम चाहते हैं कि हम एक स्वस्थ जीवन यापन करें, तो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसलिए जानते हैं कि हम कैसे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं-
- रात में जल्दी सोएँ और सुबह जल्दी ब्रह्ममुहूर्त में जागें। ब्रह्ममुहूर्त के समय वातावरण में सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
- प्रतिदिन योगाभ्यास, प्राणायाम, व्यायाम अवश्य करें।
- किसी भी प्रकार के नशे (शराब, गुटका, तम्बाकू, धूम्रपान आदि) से दूर रहें।
- भोजन में कच्चे फल और सब्जियों का प्रयोग अधिक करें।
- ज्यादा तेल, मिर्च-मसाले का राजसिक एवं तामसिक भोजन न करें। सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- मांसाहार, जंक फूड, सॉफ्रट ड्रिंक का सेवन न करें।
- मैदा, नमक, चीनी, चाय आदि का कम से कम प्रयोग करें।
- बासी, अधपके और देर रात्रि में भोजन करने से बचें। ताजा और आवश्यकतानुसार भोजन करें।
- सप्ताह में एक दिन उपवास अवश्य रखें। उपवास में अल्प मात्र में फल और दूध के अलावा कुछ न लें।
- पर्याप्त नींद लें।
- प्रतिदिन स्नान करें। अपने आस-पास साफ-सफाई एवं स्वच्छता रखें।
- एलोपैथी विशेषकर एंटीबायोटिक और पेन किलर दवाओं का कम से कम प्रयोग करें।
- प्रतिदिन आधा घंटा धूप में बैठें। नियमित प्रयोग की वस्तुओं (कपड़े, रजाई-गद्दे आदि) को भी समय-समय पर धूप में रखें।
- नीम, गिलोय, हल्दी, अदरक, आंवला, काली मिर्च आदि में अनेक जीवाणुरोधी गुण होते हैं। इनका प्रयोग अवश्य करें।
- च्यवनप्राश, तुलसी अर्क, पंचामृत रसायन, गिलोय अर्क, मेदोहर अर्क SAM आर्युवैदिक फॉर्मेसी द्वारा निर्मित हैं और Sanjeevika वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। नीचे इनके लिंक दिये गये हैं। इनके नियमित सेवन से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- स्वच्छ पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें। भोजन के दौरान और भोजन के तुरन्त बाद पानी न पीयें, भोजन के एक घंटे बाद ही पानी पीयें।
- सकारात्मक रहें, प्रसन्न रहें, नकारात्मकता और तनाव से दूर रहें।
- इसमें ध्यान का नियमित अभ्यास और ईश्वर पर विश्वास, प्रार्थना आपकी बहुत मदद करेगा।
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